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Showing posts from 2017

शैल चित्र : कहीं सुलझी तो कहीं अनसुलझी पहेली

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    बचपन में जब कभी हम इतिहास को जानने और समझने के लिए किताबों का सहारा लेते थे , तब हमें अपने पूर्वजों के संबंध में एक अनूठी जानकारी हमारे हाथ लगती थी , वो ये कि..... हमारे पूर्वजों को शैल चित्र गढ़ने में महारथ हासिल था।  शैल चित्र @ सती अनुसुइया , चित्रकूट       लेकिन उस उम्र के पड़ाव में हमारे लिए यह कल्पना करना या उसके बारे मे सोचना हमारी समझ के परे होता था।   यह कहना ग़लत नहीं होगा कि ,   ‘ इंसान वहीं तक कल्पना और सोच सकता है जहां तक उसने दुनिया देख रखी है , उससे परे संभव नहीं। ’    हम पढ़ते थे कि हमारे पूर्वज जिन गुफाओं में रहते थे उन गुफाओं कि भित्ति पर; साथ ही बड़ी चट्टानों पर चित्र या कोई संकेत अपने मनोरंजन या आपसी संवाद के लिये बड़ी शिद्दत के साथ उकेरते थे.... आज हम इन चित्रों को शैल चित्र से संबोधित करते हैं।  प्रागैतिहासिक कालीन मुसव्विरी... शैल पर @ गोविन्द बल्लभ पन्त समाज विज्ञान संस्थान, इलाहाबाद प्रागैतिहासिक कालीन मुसव्विरी... शैल पर @ गोविन्द बल्लभ पन्त समाज विज्ञान संस्थान, इलाहाबाद     हम अगर इन शैल चित्रों को पुरातत्त्ववेता की निगाहों

मंज़र ऐसे जो आँख के रास्ते होते हुये दिल और दिमाग़ पर दस्तक दें

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    आप सभी ने बोलती हुई फ़ोटो ज़रूर देखी होगी...   साथ ही ऐसी फ़ोटो भी देखी होगी...... जो आँख के रास्ते होते हुये दिल और दिमाग़ पर दस्तक दे जाती  है।  माँ    सैरनामा ब्लॉग की इस कड़ी में ,   मैं प्रशांत शाह वेला आपको इस फ़ोटो ब्लॉग के माध्यम से कुछ ऐसी चुनिन्दा , दिलचस्प और लाजवाब मंज़रों से आपको रूबरू करने जा रहा हूँ जो मैंने सफ़र के दौरान अपने कैमरे के फ्रेम में कैद किये हैं... यह फ़ोटो न केवल आपको सोचने के लिये मज़बूर करेंगी अपितु कहीं कहीं आपको क़ुदरती फ़न का अहसास भी करेंगी.... दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं ... Sea Art Flying Seed Madar बोनसाई .... जापानी तकनीक जापानी भाषा में बोनसाई   का मतलब है "बौने पौधे" फूल.... क़ुदरती फ़न Terra Cotta     बहरहाल ये मंज़र कोई नये नहीं... आपने अपनी आँखों से कभी न कभी इन मंज़रों को ज़रूर कैद किये होगा... हाँ ये बात और है कि कभी आपने गौर फ़रमाया होगा तो कभी नहीं ।         !! शुक्रिया भारत !!

फ़सल अवशेष : मिट्टी की उर्वरता को खोने से बचाने के लिये किसानों को जागरूक होना होगा

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  सरकार की ओर से पर्यावरण को सुरक्षित रखने साथ ही मिट्टी की उर्वरता को खोने से बचाने के लिए किसानों को फ़सल अवशेष न जलाने की हिदायत एक सराहनीय और   महत्त्वपूर्ण क़दम है। किसानों को अब जागरूक होने की अति आवश्कता है अन्यथा आने वाली पीढ़ी उनके इस कृत से अभिशापित हो जायेगी। सरकार को ग्रामीण स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को जागरूक करना होगा साथ ही फ़सल अवशेष से वानस्पतिक खाद बनाना सुझाना होगा। इससे किसानों को आम के आम और गुठलियों के भी दाम प्राप्त होंगे। * प्रति ग्राम मिट्टी में 10 से 40 लाख उपयोगी बैक्टीरिया तथा अन्य एनपीके तत्त्व प्राप्त मात्रा में मौजूद होते हैं जो जल के ख़ाक हो जाते हैं।       !! शुक्रिया भारत !!

भरतकूप : भगवान भरत के कुएँ की पौराणिक नगरी और बुंदेलों का ऐतिहासिक स्थल

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   दिन की शुरुआत एक सफ़र से शुरू होती है , यही सफ़र हमें हमारी मंजिल तक पहुँचाता है। आज मैं आपको ऐसे नगर की सैर पर ले चलता हूँ जो   पौराणिक महत्त्व के साथ - साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी रखता है । आइये चलते हैं आज के सफ़र में और पहुँचते हैं उस मंज़िल तक जिसे हमेशा से इंतजार रहा है उन रहनुमाओं का जो बेवजह ही उनका हाल चाल लेने समय-समय पर आते रहते हैं... आज की मंजिल .... भगवान भरत के कुएँ की पौराणिक नगरी और बुंदेलों का ऐतिहासिक स्थल ;   भरतकूप            दोस्तों मेरे लिए यह बहुत खुशनुमा पल है कि   मुझे आपको अपनी गृह नगरी चित्रकूटधाम कर्वी से महज़ 15 किमी की दूरी पर स्थित धार्मिक नगरी भरतकूप की यात्रा पर ले जाने का सौभाग्य मिल रहा है।             भरतकूप , चित्रकूट ज़िले में स्थित एक धार्मिक स्थल है। इस धार्मिक नगरी   के सबसे नज़दीक   चित्रकूटधाम कर्वी रेलवे   स्टेशन है। रेलवे   स्टेशन से भरतकूप महज़ 17 किमी की दूरी पर स्थित है। रेलवे स्टेशन से आटो करके यहाँ पहु