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भारतीयता पर फ़ख्र

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            नयी उमंग और नये जोश के साथ आये इस स्वाधीनता दिवस का  समूचा भारत वर्ष अपनी बांहों को फैला कर इसका स्वागत करने के लिए तैयार है । हमारे पिछले अनुभव हमें यह अहसास दिलाते हैं कि भारत ने स्वाधीनता के बाद विश्व के अन्य विकासशील देशों के मुकाबले जिस  गंभीरता के साथ अपनी स्थिति में परिवर्तन किया है वो भारत पर फ़ख्र महसूस करने के लिए काफ़ी है । परिवर्तित परिस्थितियों के  सकारात्मक परिणाम आज बेहतर एवं अद्वितीय कीर्तिमान के रूप में सामने आ रहे हैं ।      भारत ने स्वाधीनता प्राप्ति के बाद विभिन्न पिछड़े सामाजिक,  आर्थिक,  राजनैतिक, एवं शैक्षिक क्षेत्रों की प्रगति के लिए प्रभावी  राष्ट्रीय नीतियों का निर्माण किया । तदोपरान्त आने वाली सरकारों ने सकारात्मक राजनीति का परिचय देते हुए इन राष्ट्रीय नीतियों की समीक्षा की तथा नई राष्ट्रीय नीतियों को देश हित के लिए लागू किया। परिणामस्वरूप आज भारत की स्थिति बेहतर हुई है और  साथ ही वैश्विक स्तर पर भारत ने अपने नाम को स्थापित करने में  भी सफल रहा है । इन सब के बावजूद भी भारत की चुनौतियां अभी भी है जो देश को विकासशील देश के वर्ग में लाकर खड़ा

पकौड़े का दर्शन

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  भारतीय पकवानों में पकौड़ा एक लज़ीज़ और किफ़ायती पकवान माना जाता रहा है । हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा पकौड़े का उदाहरण देश की  आर्थिक प्रगति के लिए किया गया ।  जिसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उच्च एवं  सही दिशा में ले जाने की कवायद के रूप में जाना जा सकता है । तो वहीं दूसरी ओर भारतीय पकवानों को देश - विदेश से रूबरू कराने की मंशा साफ़ नज़र आती है ।       आज के दौर में हम रेडी टू ईट पकवानों पर ज्यादातर आश्रित हो गये हैं । इसका कुप्रभाव ग्रामीण बाज़ार पर  पड़ा  है , जिसके बाबत  ग्रामीण अर्थव्यवस्था बेहद प्रभावित हुयी है । प्रधानमंत्री द्वारा पकौड़े का उदाहरण दिया जाना  बेजा उदाहरण नहीं है ।    पकौड़े का दर्शन समझने की ज़रूरत है जो मेक इन इण्डिया का सटीक एवं किफ़ायती उत्पाद है ।           शुक्रिया भारत !!!

बजट से जुड़ी आमजन की उम्मीद

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          1 फ़रवरी को संसद की पटल पर पेश होने वाले आम बजट पर पूरे भारत की निगाहें टिकी  हुई है । इसके बाबत  समाज का हर एक तबका अपनी अपनी क्षमता के अनुसार कयास लगाने पर जुटा हुआ है । तो वहीं  सरकार भावी भारत के विकास की कहानी को गढ़ने में मशरूफ है ।      वैसे सरकार की हरेक नीति समाज के सभी वर्गों को प्रभावित करने वाली होती है ।  किन्तु  जब बात आम बजट की  हो तो समाज के अन्तिम पायदान के आमजन अत्यधिक प्रभावित होते हैं । क्योंकि बजट पर आधारित उन सभी का रोज़मर्रा का जीवन होता है और इससे उनका जीवन बेहद प्रभावित होता है ।   बजट निर्माण को लेकर सरकार के सामने अनेक चुनौतियां हैं  । जहाँ एक ओर वह आमजन की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहेगी वहीं दूसरी ओर नोटबंदी और जीएसटी से हुये आर्थिक क्षति की भरपाई भी करना चाहेगी और साथ ही आर्थिक विकास दर को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाने का मुख्य ध्येय राजधानी सरकार का होगा । 

गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी का यादगार ऐतिहासिक दिन

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रानी लक्ष्मी बाई के झाँसी स्थित क़िले की बुर्ज़ पर लहराता तिरंगा                                 गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी का यादगार ऐतिहासिक दिन...           यह दिवस हर भारतीय के जीवन में नया उत्साह और नयी उम्मीद के साथ आता है। इस राष्ट्रीय और लोकतांत्रिक  पर्व के अवसर पर हर वर्ष  दिल्ली के राजपथ पर  होने वाला साहसिक एवं अद्भुत  प्रदर्शन भारतीयों और विदेश से आये हुए मुख्य अतिथियों को भारत वर्ष के शौर्य, पराक्रम और उसकी विविधता में  एकता की संस्कृति  से रूबरू होने का भी सुअवसर प्रदान करता है। मुकम्मल भारत वर्ष इस प्रदर्शन को देख खुद को गौरवान्वित महसूस करता है, साथ ही भारतीय होने पर उसको नाज़ भी होता है।               उल्लेखनीय है, आज से 68 साल पहले आज ही के दिन से,  भारत के संविधान ने अपने संप्रभुता के सफ़र की शुरुआत की थी। यह संविधान हमारे पुरखों के संघर्ष और उनकी उपलब्धि के फलस्वरूप मिली एक अनमोल धरोहर है। इस अमूल्य विरासत का संरक्षण सर्वोच्च  न्यायायल  और भारत के नागरिकों द्वारा बखूबी किया जा रहा है। और  यह इसी का परिणाम  है  कि,  आज हम सब  69 वाँ गणतंत्र दिवस मनाने की ओर