गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी का यादगार ऐतिहासिक दिन

रानी लक्ष्मी बाई के झाँसी स्थित क़िले की बुर्ज़ पर लहराता तिरंगा
             

                गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी का यादगार ऐतिहासिक दिन...


          यह दिवस हर भारतीय के जीवन में नया उत्साह और नयी उम्मीद के साथ आता है। इस राष्ट्रीय और लोकतांत्रिक  पर्व के अवसर पर हर वर्ष  दिल्ली के राजपथ पर  होने वाला साहसिक एवं अद्भुत  प्रदर्शन भारतीयों और विदेश से आये हुए मुख्य अतिथियों को भारत वर्ष के शौर्य, पराक्रम और उसकी विविधता में  एकता की संस्कृति  से रूबरू होने का भी सुअवसर प्रदान करता है। मुकम्मल भारत वर्ष इस प्रदर्शन को देख खुद को गौरवान्वित महसूस करता है, साथ ही भारतीय होने पर उसको नाज़ भी होता है।


              उल्लेखनीय है, आज से 68 साल पहले आज ही के दिन से,  भारत के संविधान ने अपने संप्रभुता के सफ़र की शुरुआत की थी। यह संविधान हमारे पुरखों के संघर्ष और उनकी उपलब्धि के फलस्वरूप मिली एक अनमोल धरोहर है। इस अमूल्य विरासत का संरक्षण सर्वोच्च  न्यायायल  और भारत के नागरिकों द्वारा बखूबी किया जा रहा है। और  यह इसी का परिणाम  है  कि,  आज हम सब  69 वाँ गणतंत्र दिवस मनाने की ओर अग्रसर हैं।


          जब-जब यह राष्ट्रीय पर्व आता है,  तब-तब संविधान और क़ानून  व्यवस्था पर आम जन  की आस्था और श्रद्धा और भी ज़्यादा बढ़ जाती है। लोगों में न्याय के प्रति एक नयी उम्मीद जगती है।


               गौरतलब है जिस समय भारत के संविधान की रचना हो रही थी,  वह समय  औपनिवेशिक काल का था। मूल संविधान के अब 68 साल होने को आयें हैं। उस दौर की परिस्थितियां और आज की परिस्थितियों में ज़मीन - आसमान का फ़र्क देखा जा सकता है। इसी का परिणाम है कि, आज संविधान और भारतीय क़ानून व्यवस्था दोनों ही प्रभावहीन साथ ही लाचार दृष्टिगोचर होती है। इसके कई कारणों में से एक कारण यह है कि, रसूख़दारों का ख़ुद को क़ानून व्यवस्था तथा संविधान से ऊंचा मानकर अपनी मनमानी करना तथा अपनी राजनीति को चमकाना है ।


        समय के साथ क़दम से क़दम मिलाकर ख़ुद में तब्दीली करते रहना । यही ख़ुद को समय के साथ  प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने का एक सही तरीक़ा है । अत: मूल संविधान और क़ानून व्यवस्था को मुकम्मल भारत वर्ष में प्रभावी करने के लिये नये क़ानून बनाने के साथ ही पुराने क़ानूनों मे संशोधन करने की  अब महतीं आवश्यकता है। तभी गणतंत्र की सही मायने में सुरक्षा हो  सकेगी।


कुछ चंद पँक्तियाँ हमारे राष्ट्र के आन-बान-शान  तिरंगे पर  ...


           यूँ  ही  लहराते  रहना  सदा   

        तेरे साथ मेरा अंग-अंग झूमता है      

          तेरे  गीतों  के  अल्फ़ाज़ों  पर   

        मेरा  दिल  भी  ख़ूब  रमता  है 

      तेरे संघर्ष की दास्ताँ जब भी सुनता हूँ 

        मेरा रोम-रोम पुलकित हो उठता है   

          है  नाज़  मुझे  तेरी  दास्ताँ  पर

        मैं शत् - शत् बार तुझे नमन करता हूँ ...


              शुक्रिया  भारत  !!!

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