जैव- विविधता

अगर कोई वस्तु किसी रंग-रूप की विशेषता को धारण किए हुए है, तो आप ये कदापि नहीं सोचना कि ये केवल इसी रंग-रूप में आपको वहाँ भी मिलेगी जहाँ आप जाएंगे। वह वस्तु निश्चित ही प्राकृतिक -विविधता ( जैव - विविधता ) के कारण अपना रंग -रूप बदले हुए अन्य स्थानों में प्राप्त होगी। उदाहरणार्थ जैसे कि हीरा किसी चट्टान से सफेद तो किसी चट्टान से काला, हरा, नीला प्राप्त होता है। इसी प्रकार किसी स्थान पर सफेद मोर तो किसी स्थान पर विभिन्न रंगों से अलंकृत मोरों से रूबरू होने का मौका मिला है। ऐसा ही जैव- विविधता का वरदान गुड़हल के पुष्प को भी प्राप्त है जिसके फलस्वरूप वह किसी स्थान पर गहरे लाल रंग के तो किसी - किसी स्थान पर सफेद और गुलाबी रंग के गुड़हल देखने को मिलते है । हमारी प्रकृति में ऐसी ही विभिन्न वस्तुएँ हैं जिन्हें जैव- विविधता का वरदान प्राप्त है। जिसके कारण वे वस्तुएँ भिन्न- भिन्न स्थानों पर भिन्न- भिन्न रंग-रूपों में प्राप्त होती है। 
धन्यवाद
https://m.facebook.com

Comments

Popular posts from this blog

मदार का उड़ता बीज : Flying Seed Madar

भारत की संस्कृति विविधता में एकता : कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस मे वाणी। मील-मील पर बदले सभ्यता, चार मील पर संस्कृति॥

अतिरंजीखेड़ा के विस्तृत भू-भाग में फ़ैले पुरातात्विक अवशेष ईंट और टेरकोटा के टुकड़े गवाह हैं अपने इतिहास और रंज के