भारत की संस्कृति विविधता में एकता : कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस मे वाणी। मील-मील पर बदले सभ्यता, चार मील पर संस्कृति॥
हम सब ने भारत की विविधता के सम्बन्ध में यह उक्ति जरूर सुनी होगी कोस
कोस पर बदले पानी, चार कोस मे वाणी । इसी तर्ज पर भारत की संस्कृति एवं
सभ्यता की विविधता के सन्दर्भ में यह उक्ति सटीक बैठती है 'मील-मील पर बदले
सभ्यता, चार मील पर संस्कृति'। भारत की यह विविधता आज पूरे विश्व के लिए
आकर्षण का केन्द्रबिन्दु बनी हुई है, और इस विविधता में एकता से रूबरू होने
काफी संख्या में आज विदेशी सैलानी भारत आ रहे हैं और साथ ही भारत के मुरीद
भी होते जा रहे हैं। यह विविधता भारत को अन्य देशों से श्रेष्ठ एवं महान
बनाती है।
अब वक़्त आन पड़ा है भारत के मूल सिद्धात तथा उसकी प्रमुख विशेषता विविधता में एकता को बनाए रखने का। साथ ही भारत में फैल रहे पार्टीवाद एवं धर्मवाद के संक्रमण तथा उसके दुष्प्रभाव से देश को सुरक्षित रखने का। आपसी सांप्रदायिक सद्भावना और सौहार्दपूर्ण व्यवहार आज विकासशील भारत की प्रमुख मूलभूत आवश्यकता हो चली है।
अब वक़्त आन पड़ा है भारत के मूल सिद्धात तथा उसकी प्रमुख विशेषता विविधता में एकता को बनाए रखने का। साथ ही भारत में फैल रहे पार्टीवाद एवं धर्मवाद के संक्रमण तथा उसके दुष्प्रभाव से देश को सुरक्षित रखने का। आपसी सांप्रदायिक सद्भावना और सौहार्दपूर्ण व्यवहार आज विकासशील भारत की प्रमुख मूलभूत आवश्यकता हो चली है।
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