अबला से सबला तक का सफ़र वही तय कर सका जिसने अपना रास्ता ख़ुद बनाया


    महिला सशक्तिकरण के अभियान लम्बे अरसे से निरंतर सफलता की राह पर बढ़ते हुये नित नये आयामों को हासिल कर रहे हैं। और इसी क्रम में इस अभियान का एक अभिन्न अंग विश्व अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। 


    हर विशेष दिन लोगों में नवीन ऊर्जा और नये संकल्पों को जन्म देता है। इसी को आधार मानते हुये अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन 8 मार्च को समूचे विश्व भर में किया जाता है। ग़ौर करें तो यह दिवस हमारे समाज से सीधा संबंध रखता है। सीधा संबंध होने के नाते हर मनुष्य अपनी रोज़ मर्रा की ज़िंदगी में किसी न किसी रूप में महिला से रोज़ाना ज़रूर प्रभावित होता है। तो क्या महिला दिवस का अस्तित्व सिर्फ़ एक दिन का ही होना चाहिए? नहीं ! ये दिवस तो हर दिन मनाया जाना चाहिये, इनके अस्तित्व से ही दुनिया का अस्तित्व क़ायम है। आज महिलायेँ अपना रास्ता ख़ुद ही अख़्तियार कर रही हैं। बस उनकी ऊंची उड़ानों को पंख देने की आवश्यकता है।

   दुनिया भर में अपने मुक़ाम को हासिल करने वाली  महिलाओं के प्रेरक अफ़सानो की लंबी फेहरिस्त है। अगर बात करें भारत की तो, हाल ही में इसरो द्वारा 104 उपग्रहों का एक साथ जो प्रक्षेपण हुआ उस प्रक्षेपण अभियान में कई महिला वैज्ञानिक एवं महिला इंजीनियर शामिल थी। ऐसे ही सभी क्षेत्रों में महिलायें आज नये मुक़ाम पर हैं।  

   यह सब संभव हो सका है.... समाज की बदलती मानसिकता के कारण। आज बेटी के जन्म पर पिता उत्सव मनाता है और उसको क़ाबिल बनाने के लिये उच्च शिक्षा का प्रबंध करता है। यह सब पहले दूर की कौढ़ी हुआ करती थी। पहले बेटी के जन्म में पिता मायूश हो जाता और उसके दहेज़ के प्रबंध में लग जाता। और उसके नाम एक बैंक खाता खोल देता था। 

  समाज बदला ...  और उसकी सोच भी... । 

  आंकड़ों पर ग़ौर फ़रमायें तो यह मालूम होता है कि,  महिला सशक्तिकरण सिर्फ़ शहर तक ही सिमट कर रह गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य शहर के साथ ही गाँव-खेड़ों की महिलाओं को भी सशक्त एवं क़ाबिल बनाना  है। गाँव-खेड़ों में आज उनके साथ होने वाली बदसलूकी और अपराध बढ़ रहे हैं। सरकार और प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देने की ज़रूरत है। साथ ही समाज के लोगों को अपनी सोच बदलने की।  

दाल की खेती

    भारत सरकार का स्वच्छ भारत मिशन गाँव-खेड़ों की महिला समाज के लिये एक वरदान सिद्ध हुआ है। ग्रामीण महिलायें कहती हैं, स्वच्छ भारत मिशन के घर-घर शौचालय से हमें सुरक्षा मिली है, अब हमारे साथ बदसलूकी नहीं होती और ये सब हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं।” 
  
   किसी गुमनाम दार्शनिक ने बहुत ख़ूब कहा है, “आत्मविश्वास के बल पर हर चीज़ हासिल की जा सकती हैं ।” आज की सशक्त महिलाओं के लिये यह उक्ति गुरुमंत्र साबित हुई है। आज वो अपनी सुरक्षा और अपने सपनों को पाने का रास्ता ख़ुद ही अख़्तियार कर रही हैं।
  
   कुछ पंक्तियाँ समर्पित हैं बेटी के अरमानों पर...


     बापू... मैं हूँ बेटी तेरे आँगन की 
     आने दे मुझे भी इस दुनिया में
   मुझे भी अपना प्यारा जीवन जीना है
     मुझे भी स्वावलंबी बनना है
   शिक्षित हो दो घर रोशन करना है
     बुने है कुछ सपने मैंने भी   
 पूरा कर जीवन का बोझ तेरा आधा करना है.../


      !! शुक्रिया भारत !! 



Comments

Popular posts from this blog

मदार का उड़ता बीज : Flying Seed Madar

भारत की संस्कृति विविधता में एकता : कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस मे वाणी। मील-मील पर बदले सभ्यता, चार मील पर संस्कृति॥

अतिरंजीखेड़ा के विस्तृत भू-भाग में फ़ैले पुरातात्विक अवशेष ईंट और टेरकोटा के टुकड़े गवाह हैं अपने इतिहास और रंज के